यार दरिया की मगर सच-मुच रवानी और है! यार दरिया की मगर सच-मुच रवानी और है!
विज्ञान के साथ साथ , साहित्य के आस पास , सांसों के संग में , जीवन के मन में , और क् विज्ञान के साथ साथ , साहित्य के आस पास , सांसों के संग में , जीवन के मन...
न वो आये, न उनका खत, न किसी पैगाम का अंदेशा... न वो आये, न उनका खत, न किसी पैगाम का अंदेशा...
ये रात औऱ है,औऱ वो रात औऱ थी.... ! ये रात औऱ है,औऱ वो रात औऱ थी.... !
आज ये मंज़र ,ये वक़्त कुछ और है, आज कलम के लफ़्ज़ों में आवाज़ कुछ और है। आज ये मंज़र ,ये वक़्त कुछ और है, आज कलम के लफ़्ज़ों में आवाज़ कुछ और है।
अरे क्यूँ ठुकराते हो बुजुर्गों को अरे क्यूँ ठुकराते हो बुजुर्गों को